“2.75 वॉर और कल्कि सेना की नई रणनीति” — विंग कमांडर पुष्कल द्विवेदी ने बताया नागरिक सुरक्षा और राष्ट्रशक्ति का मार्ग
नोएडा, अक्तूबर 2025 —
कल्कि सेना उत्तरी कमांड के टैक्टिकल ट्रेनिंग सेंटर में सम्पन्न हुए “काउंटर टेररिस्ट कॉम्बैट कोर्स 2025” के समापन अवसर पर विंग कमांडर (डॉ.) पुष्कल विजय द्विवेदी (सेवानिवृत्त) ने राष्ट्र को संबोधित करते हुए भारत की सुरक्षा नीति, नागरिक जिम्मेदारी और वैदिक चेतना पर आधारित 2.75 वॉर सिद्धांत को विस्तार से समझाया।
उन्होंने कहा कि भारत की वास्तविक विजय तब होगी जब मानसिक, सामाजिक और संस्थागत गुलामी के बंधन पूरी तरह टूट जाएंगे।
द्विवेदी ने कहा —
“भारत केवल दो नहीं, बल्कि 2.75 मोर्चों पर युद्धरत है — दो बाहरी (चीन और पाकिस्तान), आधा आंतरिक (विचारधारात्मक व चरमपंथ), और चौथाई (.25) मानसिक व प्रशासनिक गुलामी के विरुद्ध। जब तक यह .25 वार नहीं जीता जाएगा, तब तक भारत आत्मरक्षा की पूरी शक्ति प्राप्त नहीं कर सकता।”
धर्म, अनुशासन और नागरिक शक्ति — भारत की सच्ची सामरिक ताकत
अपने प्रभावशाली उद्बोधन में द्विवेदी ने कहा कि कल्कि सेना किसी राजनीतिक या सैन्य संगठन की तरह काम नहीं करती, बल्कि एक अनुशासित नागरिक आंदोलन है, जो प्रत्येक व्यक्ति में “राष्ट्र योद्धा” की भावना जागृत करता है।
उन्होंने कहा —
“धर्म का अर्थ केवल पूजा या आस्था नहीं है, बल्कि अनुशासन, संयम और कर्म के प्रति समर्पण है। जब धर्म और शक्ति एक साथ चलते हैं, तो राष्ट्र अपने आप अजेय बन जाता है।”
उन्होंने कहा कि भारत के हर नागरिक को कानूनी, सामरिक और मानसिक रूप से प्रशिक्षित होना चाहिए ताकि संकट की घड़ी में वह सिविलियन कमांडो की भूमिका निभा सके।
“राष्ट्र की असली सुरक्षा सीमा पर नहीं, बल्कि घर-घर में जागृत नागरिक चेतना में है,” उन्होंने कहा।
2.75 वॉर — भारत के आत्मिक पुनरुत्थान का दर्शन
विंग कमांडर द्विवेदी ने अपने सिद्धांत “2.75 वॉर” को विस्तार से बताते हुए कहा कि यह केवल एक सैन्य दृष्टिकोण नहीं बल्कि राष्ट्रीय पुनर्जागरण की प्रक्रिया है।
उन्होंने कहा —
“.25 वार वह मानसिक संघर्ष है जो भारत को औपनिवेशिक कानूनों, विदेशी शिक्षण ढाँचों और प्रशासनिक सोच से मुक्त करता है। जब यह मोर्चा जीता जाएगा, तभी 0.5 और 2 मोर्चों पर स्थायी विजय सुनिश्चित होगी।”
उन्होंने अपनी रणनीति Backward Victory की व्याख्या करते हुए कहा —
“पहले भीतर की गुलामी खत्म करो, यानी .25 वार जीतो; फिर आंतरिक असंतोष और वैचारिक विभाजन को समाप्त करो — यानी 0.5 वार जीतो; इसके बाद बाहरी दुश्मन अपने आप पराजित होंगे। यही भारतीय युद्धनीति का स्वदेशी मॉडल है।”
कल्कि सेना का प्रशिक्षण — आत्मरक्षा से सामाजिक अनुशासन तक
इस प्रशिक्षण कार्यक्रम में देशभर से आए युवा और महिलाएं शामिल हुए, जिन्हें अर्बन वॉरफेयर, क्लोज क्वार्टर बैटल, सर्वाइवल साइकोलॉजी, निगरानी तकनीक, हथियार संचालन और रेस्क्यू मिशन जैसे विषयों में गहन प्रशिक्षण दिया गया।
द्विवेदी ने कहा कि कल्कि सेना का प्रशिक्षण केवल युद्धक कौशल नहीं, बल्कि जीवन और राष्ट्र के प्रति अनुशासित दृष्टिकोण सिखाता है।
“एक प्रशिक्षित नागरिक ही सच्चा राष्ट्ररक्षक है। जब समाज स्वयं अनुशासन का प्रतीक बन जाता है, तब कोई भी आतंक या विभाजन भारत को कमजोर नहीं कर सकता,” उन्होंने कहा।
विंग कमांडर (डॉ.) पुष्कल विजय द्विवेदी — रणनीतिक विचारक और वैश्विक शांति अभियानों के नेतृत्वकर्ता
विंग कमांडर (डॉ.) पुष्कल विजय द्विवेदी भारतीय वायुसेना के वरिष्ठ अधिकारी रहे हैं और उन्होंने दशकों तक रक्षा अनुसंधान, शिक्षा और सामरिक नवाचार के क्षेत्र में अग्रणी भूमिका निभाई है।
वे वर्तमान में BSAP के महानिदेशक, चीफ सेक्रेटरी यूनाइटेड नेशंस GHRT , तथा संयुक्त राष्ट्र के अधीन ‘क्राइम प्रिवेंशन विंग’ के मुख्य सचिव (Chief Secretary) के रूप में कार्यरत हैं। साथ ही वे डीआरडीओ और रक्षा मंत्रालय के डेवलपमेंट पार्टनर भी हैं।
उनके पास क्वांटम वेपन्स पर डॉक्टरेट है, वे छह पुस्तकों के लेखक हैं और उन्हें अंतरराष्ट्रीय स्तर पर ‘फादर ऑफ सेल्फ डिफेंस साइंस’ के रूप में जाना जाता है।
उनके द्वारा निर्मित Self Defence Science विषय अब भारतीय शिक्षा बोर्ड के पाठ्यक्रम का हिस्सा है, जो विद्यार्थियों में आत्मविश्वास, विवेक, संयम और राष्ट्रप्रेम विकसित करता है।
कल्कि वारियर्स — भारत की नई आत्मरक्षा चेतना

समापन संबोधन में द्विवेदी ने कहा —
“भारत आज केवल भौगोलिक राष्ट्र नहीं, बल्कि एक जीवंत सभ्यता है। हमारे कल्कि वारियर्स उस चेतना के वाहक हैं जो भारत को भीतर से अजेय बनाती है। जब हर नागरिक अपने भीतर के योद्धा को पहचान लेगा, तब भारत न केवल 2.75 वॉर में बल्कि हर सभ्यतागत संघर्ष में विजयी होगा।”
उन्होंने प्रशिक्षित सिविलियन कमांडोज़ को बधाई देते हुए कहा कि यह आयोजन केवल प्रशिक्षण का अंत नहीं बल्कि भारत की आत्मरक्षा संस्कृति के पुनर्जागरण की शुरुआत है।
निष्कर्ष:
नोएडा में सम्पन्न कल्कि सेना के “काउंटर टेररिस्ट कॉम्बैट कोर्स 2025” का समापन विंग कमांडर (डॉ.) पुष्कल विजय द्विवेदी के प्रेरक संदेश के साथ हुआ — एक ऐसा संदेश जो “2.75 वॉर सिद्धांत” को धर्म, अनुशासन और नागरिक जागरूकता से जोड़ते हुए भारत को आत्मनिर्भर, आत्मरक्षक और आत्मगौरवशाली युग की ओर ले जाता है।